

नई दिल्ली/लखनऊ। लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद उत्तर प्रदेश की 98 प्रतिशत वक्फ संपत्तियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अब तक ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड के अधीन थीं, लेकिन नए संशोधन के बाद इन मामलों में अब जिलाधिकारी निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे।राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, यूपी में कुल 132140 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं, लेकिन इनमें से केवल 2528 संपत्तियां ही कानूनी रूप से वक्फ के रूप में मान्य हैं। नए संशोधन के बाद अब बाकी संपत्तियों को वक्फ के रूप में मान्यता देना मुश्किल होगा क्योंकि इसके लिए कानूनी पड़ताल की लंबी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।वक्फ बोर्ड के अधीन अभी तक 57792 ऐसी सरकारी संपत्तियां थीं, जिनका कुल रकबा 11712 एकड़ है। ये संपत्तियां अब वक्फ के दायरे से बाहर हो जाएंगी। नए कानून के तहत प्रशासन को अब इन पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।कई जिलों में शत्रु संपत्तियों को भी वक्फ के रूप में दर्ज कर लिया गया है। संशोधित कानून लागू होते ही ऐसी संपत्तियों की कानूनी समीक्षा शुरू होगी और उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया आसान होगी।
यूपी के 75 जिलों में वक्फ संपत्तियों की स्थिति
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियां वक्फ के रूप में दर्ज हैं। इनमें प्रमुख जिले हैं:
- आगरा – 1293, अलीगढ़ – 1216, बरेली – 2000, शाहजहांपुर – 2371, रामपुर – 2363, लखनऊ – 368, जौनपुर – 2096, अयोध्या – 2116, सहारनपुर – 1497, वाराणसी – 406।
सरकारी जमीनों को वक्फ में दर्ज करने के अनियमित मामले
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, कई जिलों में सार्वजनिक उपयोग की जमीनों को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया। रामपुर, हरदोई और अन्य जिलों में निजी भूमि को भी वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने के मामले सामने आए हैं। संशोधित कानून लागू होने के बाद, वक्फ संपत्तियों के दावों की समीक्षा जिलाधिकारी करेंगे। वे फसली वर्ष 1359 (1952) के राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लेंगे। इससे सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से किए गए वक्फ दावों को निरस्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
विपक्ष और अल्पसंख्यक समुदाय की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक संगठनों ने इस संशोधन पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर संकट बढ़ सकता है। वहीं, सरकार का तर्क है कि यह कानून केवल अवैध कब्जों को हटाने और सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन बिल के लागू होने से उत्तर प्रदेश में हजारों वक्फ संपत्तियों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। प्रशासन अब इन संपत्तियों की कानूनी समीक्षा कर उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करेगा, जिससे सरकारी जमीनों पर अवैध वक्फ दावों को रोका जा सके।


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