मोदी सरकार ने 2,900 करोड़ रुपये के ‘प्रोजेक्ट लायन’ को दी मंजूरी, एशियाई शेरों के संरक्षण को मिलेगा नया आयाम

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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने एशियाई शेरों के संरक्षण और उनके आवास विस्तार के लिए ‘प्रोजेक्ट लायन’ को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर 2,927.71 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य शेरों की आबादी को स्थिर और सुरक्षित बनाना है।

क्या है ‘प्रोजेक्ट लायन’?

‘प्रोजेक्ट लायन’ भारत में एशियाई शेरों की आबादी को बढ़ाने और उनके दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की एक व्यापक पहल है। 2020 की जनगणना के अनुसार, देश में कुल 674 एशियाई शेर हैं, जो मुख्य रूप से गुजरात के 9 जिलों के 53 तालुकों में फैले लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहते हैं।

परियोजना के प्रमुख बिंदु:

वन्यजीव स्वास्थ्य केंद्र: जूनागढ़ जिले के न्यू पिपलिया में 20.24 हेक्टेयर भूमि पर वन्यजीव स्वास्थ्य के लिए एक राष्ट्रीय रेफरल केंद्र स्थापित किया जाएगा।
हाई-टेक निगरानी केंद्र: गिर क्षेत्र में सासन में उच्च तकनीक वाला निगरानी केंद्र और अत्याधुनिक पशु चिकित्सालय स्थापित किया गया है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकथाम: किसानों और शेरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 11,000 मचान बनाए गए हैं, जिससे किसान अपनी फसलों की रक्षा कर सकें।
सुरक्षा उपाय: 55,108 खुले कुओं के चारों ओर पैरापेट दीवारों का निर्माण किया गया है ताकि वन्यजीवों की आकस्मिक मौतों को रोका जा सके।
वन्यजीव सुरक्षा बल: 2024 में 237 नए बीट गार्ड (162 पुरुष और 75 महिलाएं) की भर्ती की गई, जो शेरों के संरक्षण, गश्त और आपातकालीन बचाव कार्यों में मदद करेंगे।
बचाव अभियान: घायल शेरों की देखभाल और वन्यजीव आपात स्थितियों के लिए 92 बचाव वाहन तैनात किए गए हैं।

एशियाई शेरों के संरक्षण की जरूरत क्यों?

एशियाई शेर केवल भारत में पाए जाते हैं और इनका अस्तित्व खतरे में है। वनों की कटाई, अवैध शिकार, बीमारी और मानव-वन्यजीव संघर्ष इनके अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं। इस परियोजना के तहत वैज्ञानिक अनुसंधान, सामुदायिक भागीदारी और पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देकर शेरों के संरक्षण के प्रयास किए जाएंगे।

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सरकार की बड़ी पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘प्रोजेक्ट लायन’ के जरिए वन्यजीव संरक्षण को नए आयाम तक ले जाने की योजना बना रही है। इस परियोजना से न केवल शेरों का भविष्य सुरक्षित होगा, बल्कि यह पारिस्थितिकी संतुलन और सतत विकास में भी मददगार साबित होगी।

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