आजमगढ़– उत्तर प्रदेश के व्यापारियों में इन दिनों भारी असंतोष देखा जा रहा है। राज्य कर (GST) विभाग की धारा-79 के तहत की जा रही वसूली, छापेमारी और सर्वेक्षण की कार्यवाही को लेकर व्यापारियों ने उत्पीड़न का आरोप लगाया है। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि विभाग द्वारा बिना पूर्व सूचना के व्यापारियों के बैंक खाते सीज किए जा रहे हैं और उनमें से धनराशि निकाली जा रही है, जो पूरी तरह से अनुचित और अव्यवहारिक है।
व्यापारियों के अनुसार, विभाग नोटिस केवल ईमेल के माध्यम से भेजता है जिसे अधिकांश व्यापारी समय पर देख ही नहीं पाते। इसके परिणामस्वरूप वे ग्रेड-1 में अपील करने से वंचित रह जाते हैं। दूसरी ओर, अब तक GST ट्रिब्यूनल का गठन न होने के कारण व्यापारी अगली अपील भी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उन्हें कानूनी राहत मिलनी और भी कठिन हो जाती है।
सबसे चौंकाने वाला मामला झांसी में सामने आया है, जहां ₹5,000 की वसूली के लिए एक स्कूटी जब्त कर ली गई (आदेश संख्या 009103316500)। वहीं एक अन्य प्रकरण में ₹10,000 की वसूली के लिए एक पुराना सोफा सेट जब्त किया गया (आदेश संख्या 090724216757)। व्यापारियों का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल अनुचित है, बल्कि सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली है।
इसके अलावा एटा जनपद के जलेसर क्षेत्र में, जो घुंघरू व घंटा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है, वहां GST अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर तथाकथित सर्वेक्षण के नाम पर व्यापारियों को प्रताड़ित किए जाने की शिकायतें भी मिली हैं। यह क्षेत्र कुटीर उद्योग का केंद्र है, और इस प्रकार की कार्रवाई से छोटे व्यापारियों में डर का माहौल बन गया है।
सचल दल विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। व्यापारियों का आरोप है कि सभी दस्तावेज और ई-वे बिल मौजूद होने के बावजूद गाड़ियों पर पेनाल्टी लगाई जाती है, जिससे उन्हें मौके पर ही जुर्माना भरने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिकारियों द्वारा रिफंड के नाम पर अपील की बात कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे एक ओर जहां व्यापारी आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं, वहीं सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है।
व्यापारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस विषय में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और जी.एस.टी. विभाग की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराने की अपील की है।

