साइबर ठगी का नया ट्रेंड: रोज आ रहीं 50 शिकायतें, सावधान रहने की अपीलक्रेडिट कार्ड, फ्रेंचाइजी और ऑटो-पे बन रहे साइबर अपराध के मुख्य हथियार

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वाराणसी। साइबर ठगी के प्रति सरकार और पुलिस की लगातार जागरूकता अभियान के बावजूद शातिर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को चूना लगा रहे हैं। वर्तमान में कमिश्नरेट की साइबर सेल के पास रोजाना औसतन 50 साइबर ठगी की शिकायतें पहुंच रही हैं, जिनमें करीब पांच लाख रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी मिल रही है। इनमें से 75% शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से दर्ज हो रही हैं।

सबसे ज्यादा मामले क्रेडिट कार्ड से जुड़े

साइबर सेल के अनुसार सबसे ज्यादा शिकायतें क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से संबंधित होती हैं। सुंदरपुर क्षेत्र के व्यवसायी मनीष श्रीवास्तव के साथ ऐसी ही घटना घटी। उन्हें कॉल कर क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा दिया गया। कॉलर ने लिंक भेजा और उस पर जानकारी भरने को कहा। लिंक पर क्लिक करते ही उनका मोबाइल हैक हो गया और साइबर ठगों ने उनके क्रेडिट कार्ड से 1.75 लाख रुपये की ऑनलाइन खरीदारी कर डाली।

फ्रेंचाइजी ऑफर के नाम पर ठगी का जाल

साइबर ठग अब नामी ब्रांड्स के नाम पर फ्रेंचाइजी देने का लालच देकर भी ठगी कर रहे हैं। नरिया क्षेत्र के अमरेंद्र शंकर उपाध्याय को एफटीवी कैफे और लाउंज की फ्रेंचाइजी देने का झांसा दिया गया। ठगों ने उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए एक फर्जी वेबसाइट भेजी। हालांकि तकनीकी जानकारी के चलते अमरेंद्र को शक हुआ और उन्होंने एफटीवी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सच्चाई का पता लगा लिया, जिससे वे ठगी से बच गए।

UPI ऑटो-पे बना नया हथियार

पांडेयपुर निवासी सुधीर कुमार सिंह के खाते से साइबर ठगों ने 1.23 लाख रुपये उड़ा दिए। वह अक्सर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए ऑटो-पे का इस्तेमाल करते थे। इसी का फायदा उठाकर ठगों ने उसी फॉर्मेट में एक फर्जी ऑटो-पे रिक्वेस्ट भेजी, जिसे सुधीर ने असली समझकर अप्रूव कर दिया और उनके खाते से बड़ी रकम कट गई।

साइबर सेल की अपील

साइबर सेल ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक या कॉल पर भरोसा न करें। क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी किसी के साथ साझा न करें और फ्रेंचाइजी या बिजनेस ऑफर को अच्छी तरह वेरिफाई करें। ऑटो-पे रिक्वेस्ट को बिना जांचे-परखे अप्रूव न करें।

शिकायत कहां करें:
साइबर अपराध की किसी भी शिकायत के लिए आप www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर सकते हैं या स्थानीय साइबर सेल से संपर्क कर सकते हैं।

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