AzamgarhNews:बिजली के निजीकरण के विरोध में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों, अभियंताओं और संविदा कर्मियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर प्रदेश के बिजली कर्मचारी लामबंद होकर जन आंदोलन का रूप दे चुके हैं।
प्रदेश व्यापी आंदोलन के दूसरे चरण में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आजमगढ़ के विद्युत कर्मचारियों ने सायं 5:00 बजे हाइडिल कार्यालय, सिधारी, आजमगढ़ के बाहर विरोध सभा आयोजित की। इसके बाद मोमबत्ती जुलूस निकालते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के लिए जारी टेंडर नोटिस को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
सभा को संबोधित करते हुए बिजली कर्मचारी नेताओं ने कहा कि निजीकरण से न केवल बिजली कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ेगा, बल्कि आम जनता भी इससे प्रभावित होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण से बेरोजगारी बढ़ेगी, बिजली महंगी होगी, और किसान व आम उपभोक्ता आर्थिक शोषण के शिकार होंगे।
नेताओं ने कहा कि निजी कंपनियां केवल मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगी, जिससे महंगाई और प्रदेश का विकास अवरुद्ध होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन घाटे का बहाना बनाकर पावर कॉरपोरेशन की अरबों-खरबों की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचने पर तुला हुआ है।
सभा में प्रमुख रूप से प्रभु नारायण पांडेय, सैयद गुनोब्बर अली, ई. उपेंद्र नाथ चौरसिया, ई. विक्रम वीर सिंह, राज नारायण सिंह, रोशन यादव, आशीष सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, गौरव श्रीवास्तव, काशी नाथ गुप्ता और रवि शंकर गुप्ता ने अपने विचार रखे। सभा की अध्यक्षता धर्नू प्रसाद यादव ने की और संचालन प्रभु नारायण पांडेय ने किया।
संघर्ष समिति के संयोजक ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन अगले तीन दिनों तक जारी रहेगा। 28, 29 और 30 जनवरी को भी विरोध सभा और मोमबत्ती जुलूस आयोजित किए जाएंगे। बिजली कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि निजीकरण की प्रक्रिया वापस नहीं ली गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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