लोकसभा में आज आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव ने उत्तर प्रदेश में बंद किए जा रहे और मर्जर किए जा रहे स्कूलों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा के अधिकार कानून की खुली अवहेलना कर रही है और गरीब, मजदूर, पिछड़े, दलित और आदिवासी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है।
सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था – “जिस समाज को कमजोर करना हो, उसे शिक्षा से वंचित कर दो।” ठीक उसी राह पर उत्तर प्रदेश की सरकार चल रही है।
उन्होंने लोकसभा में बताया कि—
- उत्तर प्रदेश में 1,26,012 स्कूल बंद कर दिए गए हैं,
- 5,000 स्कूलों को आपस में मर्ज कर दिया गया है,
- 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती रोक दी गई है,
जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि हर बच्चे को अनिवार्य रूप से शिक्षा उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है।
सांसद यादव ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा,
“एक तरफ हम आजादी का अमृतकाल मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में एक नया सामंती मॉडल खड़ा हो रहा है, जिसमें गरीबों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिन क्षेत्रों में स्कूल बंद किए जा रहे हैं, वहीं पर 27 हजार से ज्यादा शराब की दुकानें खोल दी गई हैं, यह बेहद शर्मनाक और विडंबनापूर्ण स्थिति है।
सांसद ने केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि चूंकि स्कूलों के संचालन में केंद्र सरकार का बजट भी शामिल होता है, इसलिए केंद्र सरकार इस मामले से बच नहीं सकती। यदि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के बनाए कानूनों को नहीं मान रही, तो यह डबल इंजन सरकार की आपसी टकराहट का प्रतीक है।
अंत में उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव जी ने स्पष्ट घोषणा की है कि यदि सरकार स्कूल बंद करती है, तो समाजवादी पार्टी “पीडीए पाठशाला” (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) चलाकर गरीब बच्चों को शिक्षा देने का काम करेगी।
सांसद यादव ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा—
“हम आंदोलन के रास्ते पर भी जाएंगे लेकिन स्कूलों को बंद नहीं होने देंगे। गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश सफल नहीं होने देंगे।


