आजमगढ़, 1 फरवरी 2025: ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आव्हान पर आजमगढ़ जनपद में बिजली कर्मचारियों, अभियंताओं और संविदा कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। शनिवार को कर्मचारियों ने बाँहों पर काली पट्टी बाँधकर विभागीय कार्य किया और भोजन अवकाश के समय हाइडिल कार्यालय, सिधारी, आजमगढ़ के बाहर जमकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ नारे लगाते हुए ऐलान किया कि किसी भी हाल में ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण नहीं होने देंगे। समिति के संयोजक प्रभु नारायण पाण्डेय ‘प्रेमी’ ने कहा कि लखनऊ में कन्सल्टेन्ट नियुक्ति हेतु हो रही प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस का विरोध पूरे प्रदेश में किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूंजीपतियों से साठगांठ कर बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, जिससे बिजली महंगी होगी और उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण बढ़ेगा।

बिजली कर्मचारी नेता सैयद मुनौव्वर अली ने कहा कि कन्सल्टेन्ट कॉरपोरेट घरानों से जुड़े होते हैं और आरएफपी (RFP) दस्तावेज उन्हीं के अनुकूल तैयार किए जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया मिलीभगत का खेल है, जिसे रोकना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बिजली सार्वजनिक प्रतिष्ठानों से सस्ती और सुलभ हो सकती है, जबकि निजीकरण से यह आम जनता की पहुंच से दूर हो जाएगी।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि निजीकरण से बेरोजगारी बढ़ेगी, उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होगा और प्रदेश का विकास प्रभावित होगा। सभा की अध्यक्षता काशीनाथ गुप्ता ने की और संचालन प्रभु नारायण पाण्डेय ‘प्रेमी’ ने किया। विरोध सभा को रोशन यादव, नीरज त्रिपाठी, रविशंकर गुप्ता, प्रदीप सिंह, शिवेन्द्र रावत, विवेक यादव सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों को सौंपने की योजना को तत्काल रद्द किया जाए, अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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