हैदराबाद: तेलंगाना के बहुचर्चित प्रणय हत्याकांड मामले में नलगोंडा एससी-एसटी कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने मुख्य आरोपी सुभाष कुमार शर्मा को मौत की सजा सुनाई है, जबकि अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। यह मामला तेलुगु राज्यों में जातिगत वैमनस्य के कारण हुए अपराधों में से एक प्रमुख घटना मानी जा रही है, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया था।
कैसे हुआ था प्रणय का मर्डर?
मिर्यालगुडा निवासी प्रणय की 14 सितंबर 2018 को उसके ससुर ने एक सुनियोजित साजिश के तहत हत्या कर दी थी। इसका कारण प्रणय द्वारा मुख्य आरोपी की बेटी से अंतरजातीय विवाह करना था। प्रणय और अमृता ने जनवरी 2018 में जातिगत बंधनों को तोड़ते हुए शादी की थी, जिससे अमृता के परिवार में नाराजगी थी।
हत्या के दिन प्रणय अपनी पत्नी और सास के साथ मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल गया था। जब वे अस्पताल के बाहर निकले, तो एक शूटर ने उन पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस ने की कड़ी जांच, कोर्ट ने सुनाया कड़ा फैसला
तेलंगाना पुलिस ने इस हत्याकांड को गंभीरता से लेते हुए गहन जांच की और 2019 में आठ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इस मामले का मुकदमा पांच साल तक चला, जिसमें हाल ही में अदालत ने फैसला सुनाया।
- मुख्य आरोपी सुभाष कुमार शर्मा को मौत की सजा
- अन्य आरोपी असगर अली, बैरी, करीम, श्रवण कुमार, शिवा और निजाम को आजीवन कारावास
गौरतलब है कि हत्या की साजिश रचने वाला प्रणय का ससुर 2020 में आत्महत्या कर चुका है।
नरमी की याचिका खारिज
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य आरोपी ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने की अपील की, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए सख्त सजा बरकरार रखी।
प्रणय हत्याकांड ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक बड़ी बहस छेड़ दी थी। कोर्ट के इस फैसले को न्याय की दिशा में एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।


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