फरीदाबाद में दिल दहला देने वाली घटना: तांत्रिक के कहने पर मां ने दो साल के मासूम बेटे को नहर में फेंका, पति की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज

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फरीदाबाद, हरियाणा: हरियाणा के फरीदाबाद जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां सैनिक कॉलोनी में रहने वाली एक महिला ने अपने दो साल के मासूम बेटे को नहर में फेंक दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि महिला ने यह कदम एक तांत्रिक के कहने पर उठाया, जिसने मासूम को ‘सफेद जिन्न का बच्चा’ बताकर उसे परिवार के लिए खतरा बताया था।

घटना रविवार शाम बीपीटीपी थाना क्षेत्र की है, जब महिला मेघा लुकरा अपने बेटे तन्मय उर्फ रौनिक को लेकर घर से निकली और उसे पास की नहर में फेंक दिया। मौके पर मौजूद लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और महिला को वहीं रोक लिया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महिला और तांत्रिक महिला मीता भाटिया को हिरासत में ले लिया है।

बेटे के लिए तांत्रिक ने फैलाया अंधविश्वास

पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि महिला ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसने यह कदम तांत्रिक मीता भाटिया की बातों में आकर उठाया। तांत्रिक ने महिला को यकीन दिलाया था कि उसका बेटा ‘सफेद जिन्न’ का अवतार है और यदि वह जीवित रहा तो पूरे परिवार पर संकट आ सकता है।

महिला के पति कपिल लुकरा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 16 साल पहले मेघा से शादी की थी। उनकी 14 साल की एक बेटी है और बेटा दो साल का था। कपिल ने बताया कि शादी के 14 साल बाद संतान सुख मिला था, लेकिन तांत्रिक के अंधविश्वास में आकर उनकी पत्नी ने बेटे की जान ले ली।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और बच्चे की तलाश शुरू कर दी। सोमवार शाम तक बच्चे का कोई सुराग नहीं लग पाया है। पुलिस ने पति की शिकायत पर मेघा और तांत्रिक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।

घटना के बाद परिवार में गहरा मातम पसरा हुआ है। पिता कपिल गहरे सदमे में हैं और 14 साल की बेटी भी अपने छोटे भाई की याद में गुमसुम है। इलाके में घटना के बाद से आक्रोश और हैरानी का माहौल है। लोग यह सोचकर सन्न हैं कि कोई मां अंधविश्वास में आकर अपने ही बेटे के साथ ऐसा कैसे कर सकती है।

यह घटना एक बार फिर समाज में फैले अंधविश्वास और तांत्रिकों के झांसे की भयावहता को उजागर करती है। पुलिस प्रशासन और सामाजिक संगठनों से मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई हो और लोगों को अंधविश्वास से बचाने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाए।

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