महाबोधि महाविहार को मुक्त कराने के लिए आज़मगढ़ में आंदोलन तेज, बौद्ध समाज ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

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आज़मगढ़: महाबोधि महाविहार, बोधगया को कथित अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया और माता सावित्रीबाई फुले शिक्षक प्रशिक्षण सेवा संस्थान, हरबंशपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक व्यापक आंदोलन छेड़ा गया है।

आंदोलन का मुख्य उद्देश्य महाबोधि महाविहार को बौद्ध समुदाय को सौंपने और उनकी धार्मिक विरासत को सुरक्षित करने की मांग को मजबूती देना है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि बोधगया में बौद्ध धार्मिक स्थलों पर बाहरी तत्वों द्वारा कब्जा किया जा रहा है, जिससे बौद्ध अनुयायियों को अपने धर्म का पालन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

संस्थान की अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बौद्ध स्थलों को बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त कराना बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन भिखू चनदीमा थेरो, संस्थापक धम्मा लर्निंग सेंटर, सारनाथ के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है।

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आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे संघर्ष जारी रखेंगे। उनकी प्रमुख मांग है कि महाबोधि महाविहार को बौद्धों को सौंपा जाए, ताकि वे भगवान बुद्ध की उपासना और धार्मिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से कर सकें।

इस आंदोलन के समर्थन में आज़मगढ़ से एक जत्था बोधगया के लिए रवाना हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु, धर्मगुरु और समाज के लोग शामिल हो रहे हैं। आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि बौद्ध समुदाय को उनकी ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत का अधिकार मिल सके।

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